तू इश्क़ तो कर

जब आदत हो मैख़ाने की
गंगा घाट पे शक़ तो होगा ना
जब आदत हो वीराने की
महफ़िल में ज़ुल्म तो होगा ना

यूँ ही थम जा और बैठ ज़रा

हर आदत को बेग़ाना कर

कुछ अपनी कह कुछ मेरी सुन

बेहासिल ही सही…तू इश्क़ तो कर

Published by ElusiveSilence

Always wondering....

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