
मेले में ख़ामोशी
और अकेले में शोर
मुझ में ख़ुदा
और ख़ुदा में कोई और
क्या ढूँढते हो
कहाँ उलझी है डोर
क़ाबा खड़ा है
तेरे सजदों की ओर
Musings of the half taken breath……
मेले में ख़ामोशी
और अकेले में शोर
मुझ में ख़ुदा
और ख़ुदा में कोई और
क्या ढूँढते हो
कहाँ उलझी है डोर
क़ाबा खड़ा है
तेरे सजदों की ओर